AMI JHARAT BIGSAT KANWAL Osho Hindi Discourse Podcast Part-1

DATES AND PLACES : JAN 21-30 1979

First Discourse from the series of 14 discourses – AMI JHARAT BIGSAT KANWAL by Osho. These discourses were given during MAR 11 -24 1979.

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नमो नमो हरि गुरु नमो, नमो नमो सब संत।
जन दरिया बंदन करै, नमो नमो भगवंत।।
दरिया सतगुरु सब्द सौं, मिट गई खैंचातान।
भरम अंधेरा मिट गया, परसा पद निरबान।।
सोता था बहु जनम का, सतगुरु दिया जगाए।
जन दरिया गुरु सब्द सौं, सब दुख गए बिलाए।।
राम बिना फीका लगै, सब किरिया सास्तर ग्यान।
दरिया दीपक कह करै, उदय भया निज भान।।
दरिया नर-तन पाए कर, कीया चाहै काज।
राव रंक दोनों तरैं, जो बैठें नाम-जहाज।।
मुसलमान हिंदू कहा, षट दरसन रंक राव।
जन दरिया हरिनाम बिन, सब पर जम का दाव।।
जो कोई साधु गृही में, माहिं राम भरपूर।
दरिया कह उस दास की, मैं चरनन की धूर।।
दरिया सुमिरै राम को, सहज तिमिर का नास।
घट भीतर होए चांदना, परमजोति परकास।।
सतगुरु-संग न संचरा, रामनाम उर नाहिं।
ते घट मरघट सारिखा, भूत बसै ता माहिं।।
दरिया काया कारवी, मौसर है दिन चार।
जब लग सांस शरीर में, तब लग राम संभार।।
दरिया आतम मल भरा, कैसे निर्मल होए।
साबन लागै प्रेम का, रामनाम-जल धोए।।
दरिया सुमिरन राम का, देखत भूली खेल।
धन धन हैं वे साधवा, जिन लीया मन मेल।।
फिरी दुहाई सहर में, चोर गए सब भाज।
सत्र फिर मित्र जु भया, हुआ राम का राज।।

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